ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन में नाद योग कोर्स का शुभारम्भ हुआ, जिसमें विश्व के विभिन्न देशों से आए साधकों ने भाग लिया। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने साधकों का स्वागत करते हुए रुद्राक्ष की माला और योग किट वितरित की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा, नाद योग मंत्रों की महिमा और उनकी शक्ति का अद्भुत समन्वय है। यह कोर्स साधकों को आत्म-प्राप्ति और आंतरिक शांति की ओर अग्रसर करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। परमार्थ निकेतन मंत्र साधना का अद्भुत स्थान है, जहाँ प्रत्येक साधक को आध्यात्मिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नाद योग एक प्राचीन विधा है, जिसमें ध्वनि और मंत्रों के माध्यम से ध्यान और साधना की जाती है। नाद योग में ध्वनि को ब्रह्मांड की सबसे शक्तिशाली ऊर्जा माना गया है, जो हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। नाद योग के माध्यम से हम अपने अंदर की आवाज को सुन सकते हैं और उससे प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं।
नाद योग एक प्राचीन और गूढ़ योग विधा है, जिसका प्राचीन काल से ही अभ्यास किया जाता रहा है। इसमें ध्वनि और मंत्रों के माध्यम से ध्यान और साधना की जाती है, जिससे साधक को आत्मिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है। ध्वनि को ब्रह्मांड की सबसे शक्तिशाली ऊर्जा माना गया है, और नाद योग इसी ऊर्जा का उपयोग करता है।
ध्वनि के माध्यम से साधना का यह अद्भुत तरीका हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा और सकारात्मक प्रभाव डालता है। नाद योग में विभिन्न प्रकार के मंत्रों का उपयोग किया जाता है, जो ध्वनि की विभिन्न आवृत्तियों और तरंगों के माध्यम से साधक के शरीर और मन को शुद्ध और संतुलित करते हैं।
नाद योग का महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह साधक को अपने आंतरिक संसार की गहराइयों में ले जाता है। जब हम ध्वनि के माध्यम से ध्यान करते हैं, तो हम अपने आंतरिक आवाज को सुन सकते हैं और उससे प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं। नाद योग हमें हमारे आत्मा की आवाज से जोड़ता है, जो हमारे जीवन में समग्रता और संतुलन लाने में सहायक होता है।
नाद योग के अभ्यास से साधक का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य उत्तम होता है। यह हमारे नाड़ियों और चक्रों को शुद्ध करता है, जिससे ऊर्जा का संचार सुचारू और सशक्त होता है। नाद योग के नियमित अभ्यास से साधक को मन की शांति, आत्मिक बल और आंतरिक शांति प्राप्त होती है।
नाद योग में साधक को पहले ध्यान की अवस्था में लाया जाता है, जिसमें वह ध्वनि और मंत्रों के माध्यम से अपनी साधना शुरू करता है। इस प्रक्रिया में साधक को एकाग्रता और मानसिक स्थिरता की आवश्यकता होती है, जो धीरे-धीरे अभ्यास से प्राप्त होती है।
नाद योग की विधि में विभिन्न प्रकार के मंत्रों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि ओम और अन्य वैदिक मंत्र। इन मंत्रों की ध्वनि तरंगों के माध्यम से साधक के शरीर और मन में एक गूंज उत्पन्न होती है, जो साधक को ध्यान की गहराइयों में ले जाती है।