प्रयागराज : महाकुम्भ की दिव्य धरा पर 16 से 19 फरवरी 2025 के बीच परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, परमार्थ निकेतन शिविर, प्रयागराज में चार दिवसीय कीवा महाकुम्भ का आयोजन किया जा रहा है। आदिवासी समुदायों के ज्ञान के रखवालों, जनजातीय नेताओं और विशिष्ट अतिथियों के पवित्र मार्गदर्शन में विश्व के विभिन्न देशों की आध्यात्मिक परंपराओं को एकजुट करते हुए सभी एक वैश्विक सामंजस्य के लिए एक शक्तिशाली आह्वान करेंगे। इस आयोजन का उद्देश्य एकता, विविधता और समर्पण के प्रतीक के रूप में आध्यात्मिक परंपराओं को साझा करना और पृथ्वी के संरक्षण और मानवता के कल्याण के लिए प्रार्थनाएँ करना है।

महाकुम्भ के दिव्य अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के दिव्य मार्गदर्शन में भारत सहित विश्व की विभिन्न संस्कृतियों, धार्मिक विश्वासों और पारंपरिक ज्ञान को एक साथ लाकर मानवता के लिए एक सामूहिक प्रयास करना है और पृथ्वी माता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने हेतु संकल्प करना है। 

कीवा कुम्भ चार दिवसीय आयोजन में आध्यात्मिक परंपराओं, प्रार्थनाएँ, अनुष्ठान, कहानियाँ और आध्यात्मिक संवादों के साथ आदिवसी धर्मगुरू यह एहसास दिलाते हैं कि भले ही हम अलग-अलग हों, अलग-अलग देशों में रहते हों परन्तु हम एक मानव परिवार हैं, जो महाकुम्भ प्रयागराज में पृथ्वी और उसके भविष्य के लिए एकजुट हुये हैं। हम सभी यहां पर मानवता और प्रकृति के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों को फिर से स्थापित करने हेतु एक साथ आये हंै। अपनी परम्पराओं से जुड़कर पृथ्वी के साथ सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को फिर से बनाना चाहते हैं। इसी उद्देश्य को लेकर 700 से अधिक आदिवासी नेताओं और संस्कृतियों को एकजुट किया है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि महाकुम्भ पराम्पराओं के सम्मान और एकजुटता का महोत्सव है। महाकुम्भ में कीवा कुम्भ का उत्सव एक दिव्य प्रतीक है। हम सभी को इस समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हैं। यह एक अवसर है, जब हम सभी एकजुट होकर अपनी धरती माता के प्रति सम्मान, प्रेम और कृतज्ञता प्रकट कर सकते हैं। आइए हम सभी इस यात्रा का हिस्सा बनें, और अपनी आदिवासी संस्कृतियों की अमूल्य धरोहर को सम्मान दें। हमारे द्वारा एकजुट होकर किया गया प्रयास हमारी धरती माता को फिर से संजीवनी देने वाली बना सकता है। यह आयोजन हम सभी को एक बड़ा वैश्विक परिवार और वसुधैव कुटुम्कम् के सूत्र के साथ जोड़ने का अवसर प्रदान करेगा। वास्तव में कीवा उत्सव विविधता में एकता का दिव्य उत्सव है। 

माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला जी ने कहा कि भारत की संस्कृति विविधताओं में एकता की मिसाल है। यहाँ विभिन्न धर्मों, भाषाओं और परंपराओं का संगम है, जहां हर संस्कृति को समान सम्मान मिलता है। भारतीय समाज में समन्वय और समरसता की भावना सदैव रही है। भगवद गीता, वेद, उपनिषद, और अन्य सभी ग्रंथ, सहिष्णुता और सहअस्तित्व का संदेश देते हैं। भारत में विविधता को न केवल सहन किया गया, बल्कि इसे अपनाया और सम्मानित किया गया। यही भारतीय संस्कृति की ताकत है, जो हमें एकजुट रहने की प्रेरणा देती है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री, भारत सरकार, श्री पियूष गोयल जी ने कहा कि पूज्य स्वामी जी ने पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का न केवल प्रचार-प्रसार किया बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को आमंत्रित भी किया है। संस्कृतियों को आदान-प्रदान पूरे विश्व को एक सूत्र में जोड़ता है। भारत के पास सभी से जुड़ने व सभी को जोड़ने का अद्भुत सूत्र है।

कीवा कुम्भ को महाकुम्भ में आयोजित करने का उद्देश्य आदिवासी क्षेत्र की देखभाल और संरक्षण, प्रकृति की सुरक्षा मूल भाषाओं और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण, आदिवासियों की पहचान को स्वीकारना, सम्मानित करना, आदिवासियों की संस्कृतियों का संरक्षण, स्वस्थ और सतत अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करना है।

कीवा महाकुम्भ में भारत सहित जर्मनी के आदिवासी लीडर्स हेल्मुट किजेलमैन, मेक्सिको, हेनबर्टो विलासेनियर, अल्फोंसो गोंजालेज वेलेजक्वेज, बेनिन से एपोलिनायर उस्सौ, ऑस्ट्रेलिया से विरुन्ग्गा डुंग्गीइर, मैन्युएल एंटोनियो ऑक्स्टे लियोन, कोलंबिया से जूलियो मुनोज लिनो, नुबिया रोड्रिगेज, बाली से इडा आयू पुतु पूमामावती, पेरू से मार्टिना ममानी अरॉस्कीपा, ग्रिवानेसा फ्लोरेस ममानी, इटली से वैलेनटीना रोता, मंगोलिया से ओड्सुरेन संगिबात, आदियामा ल्खागवा, सेलमेग डेमचिग्दोरी तथा अब तक मेक्सिको, स्पेन, जर्मनी, इटली, अर्जेंटीना, कोलंबिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, पेरू, ग्रेट ब्रिटेन, जापान, ब्राजील, चिली, पुर्तगाल, नीदरलैंड्स, इक्वाडोर, फ्रांस, स्कॉटलैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों के प्रतिभागियों ने सहभाग किया।

स्वामी जी ने श्री ओम बिड़ला जी और श्री पियूष गोयल जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर महाकुम्भ में उनका अभिनन्दन किया।

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