हरिद्वार : (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानंद) कांगड़ी स्थित सद्गुरु आश्रम में अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर परम पूज्य 1008 श्री संजय गिरी जी महाराज ने कहा मनुष्य कर्म में लिखी गरीबों को कर्म करके मिटा सकता है ईश्वर आस्था और उसकी मेहनत उसे बुलंदियों के शिखर पर पहुंचा सकती है आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है और यही गरीबों का प्रतीक है इसलिए आलस्य को त्यागो और मेहनत के बल पर अपने जीवन को सिद्ध करो लेकिन जिसके मन मस्तिष्क में गरीबी बसी हो चाहे वह अरबपति भी क्यों ना हो किंतु उसके मन की गरीबी उसके संस्कारों की गरीबी उसके विचारों की गरीबी कभी नहीं मिटती आजकल आपनेछ देखा होगा पहले गरीब का कपड़ा फट जाता था तो उसे सुई धागा लेकर सी लिया जाता था जैसे घुटने पर पैजामा या पेट फट गई तो उसे कपड़ा जोड़कर भले ही पहन लिया जाता था किंतु आजकल बड़े लोगों में चलन चला है घुटने पर ऊपर तथा कई कई जगह से कटी फटी पेंट बड़े-बड़े ब्रांडों के नाम पर पहनते हैं जो बड़े ही गंदे तथा भद्दी प्रदर्शित होती हैं आखिर फैशन के नाम पर दरिद्रता क्यों गरीब भी फटे हुए कपड़े को सिलकर पहन लेता है लेकिन जिनकी सोच में गरीबी बसी है वे लोग दिखावे के लियें ताकि लोगों का ध्यान उनकी ओर केंद्रित हो ऐसे भद्दी फटे लटके कपड़े पहनते हैं शरीर दिखाने वाले कपड़े पहनते हैं इस प्रकार के लोग भले ही धन से अमीर हो लेकिन सोच से गरीब होते हैं तन और मन दोनों से गरीब होते हैं उनकी सोच में उनके मस्तिष्क में गरीबी बसी होती है उनके संस्कारों में झूठी शान और दरिद्रता बसी होती है जबकि एक आम गरीब का मन प्रतिपुलित होता है हर वस्तु से लालसा से मुक्त होता है मनुष्य को हमेशा अच्छी संगत करनी चाहिये उम्र दराज लोगों के पास बैठकर उनके विचार ग्रहण करने चाहिये और जहां भी सत्संग हो रहा हो उसे ग्रहण करना चाहिये क्योंकि हरि भजन सत्संग ही आपको सत्य की राह दिखाता है आपको आपके अंदर छुपे गुणो से अवगत कराता है आपकी सुख समृद्धि का मार्ग खोलता हैं अच्छी उठ बैठ तथा संगत आपकी उन्नति के मार्ग में सहायक हो सकती है सतगुरु देव हमें शिक्षा और संस्कार देकर जीवन की परख कराते हैं