ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जलियांवाला बाग हत्याकांड भारतीय इतिहास की एक हृदय विदारक घटना है। अमृतसर के जलियांवाला बाग में बैसाखी के अवसर पर शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठी हुई जनता पर गोली चलवा दी थी जिससे अनेक निर्दोष और निहत्थे लोग मारे गए थे। अंग्रेजों की गोली से बचने के लिए अनेक लोग उसी बाग में मौजूद एक कुएँ में कूद गए थे। इस कुख्यात घटना के दौरान कई लोग मारे गए थे। ‘जलियांवाला बाग हत्याकांड’ में शहीद हुये सभी शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि और उनकी देशभक्ति को नमन।
स्वामी जी ने कहा कि यह घटना आत्मनिर्णय के संघर्ष की मार्मिक याद दिलाती है जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आकार देने में अमूल्य योगदान दिया। जलियांवाला बाग हत्याकांड’ के सभी वीर बलिदानियों को नमन और उनकी राष्ट्र भक्ति को कोटि-कोटि वंदन।
स्वामी जी ने कहा कि भारत, अपनी भारत माता की रक्षा के लिये लहू बहाने वाले और धरती के गर्भ से अन्न पैदा करने हेतु पसीना बहाने वालों का भारत है। मैथलीशरण गुप्त जी की ये पंक्तियाँ ‘‘सब तीर्थों का एक तीर्थ यह, हृदय पवित्र बना लें हम, आओ यहाँ अजातशत्रु बन, सबको मित्र बना लें हम । यह भारत माता का मंदिर यह, समता का संवाद जहाँ, सबका शिव कल्याण यहाँ है, पावें सभी प्रसाद यहाँ’’ ऐसे भाव जहां हों वह राष्ट्र केवल गौरव का अधिकारी है और यही भाव स्वतंत्रता और भारत माता के प्रति हमारे प्रेम को दर्शाते हैं।

भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में महात्मा गांधी, तिलक, पटेल, मंगल पांडे, खुदीराम बोस, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, चंद्र शेखर आजाद आदि ने अपने देश हित, राष्ट्र प्रेम को अपने स्वार्थ के ऊपर वरीयता दी क्योंकि स्वतंत्रता का मोल गुलामी में जीवन जीने वाला ही जान सकता है इसलिये यह ध्यान रखना होगा कि एक व्यक्ति का अधिकार या उसकी स्वतंत्रता दूसरे व्यक्ति के अधिकारों या उसके स्वतंत्रता में बाधक नहीं होना चाहिए।
स्वामी जी ने कहा कि धर्म का सार तत्व यह है कि जो आप को बुरा लगता है वह काम आप दूसरों के लिए भी न करें अर्थात इसका तात्पर्य यह है कि किसी भी कीमत पर मानवता और सृष्टि के विनाश की ओर हमारे कदम न बढं़े। यही संदेश जलियाँवाला बाग हत्याकांड हमेें शिक्षा देता है।