हरिद्वार : ( वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोज मनोजानंद ) कनखल स्थित श्री माधव धर्मार्थ ट्रस्ट रजि मे अपने श्रीमुख से उद्गार व्यक्त करते हुए श्री आनन्दमयी साधना मां ने कहा भगवान राम नाम के तीन अक्षरों में यह संपूर्ण सकल संसार समायोजित है जिस पर कृपा राम की हो वह पत्थर भी तर जाते हैं इस संसार में भगवान राम के नाम की महिमा बड़ी ही अपरम्पार है भगवान के साथ उनके कार्य में हनुमान जी के साथ छल करने हेतु छद्म रूप रख पहाड़ों के बीच सरोवर के किनारे राम नाम की महिमा का गुणगान करने वाले असुर कालनेमि ने हनुमान जी का मार्ग अवरुद्ध करने हेतु राम नाम की महिमा गाई किंतु अंतिम समय में हनुमान जी द्वारा पहचान लियें जाने पर हनुमान जी की गदा के प्रहार से परलोक चला गया उसके लियें स्वर्ग के दरवाजे रात्रि में भी खोल दिये गये क्योंकि भले ही छल के लिये ही सही किंतु उसने कुछ पल राम नाम की महिमा गाई गुरु की आज्ञा पाकर माता शबरी ने सदियों तक राम की बाट देखी और रोज उनके लियें फूलों से मार्ग को सजाया एक दिन भगवान राम को उनकी पुकार सुन उनकी कुटिया में उन्हें दर्शन देने जाना पड़ा भक्ति बड़ी ही अनमोल होती है वह किसी भी स्वरूप में की जाये फलदाई होती है राम नाम की महिमा बड़ी ही अपरम्पार है अंतिम समय में रावण ने राम का नाम पुकारा अंतिम समय में पुतना ने भगवान कृष्ण का नाम पुकारा अंतिम समय में तड़का ने भगवान राम का नाम पुकारा ऐसे ही अनेकों उदाहरण है उन्हें सत्य के मार्ग पर आना पड़ा क्योंकि राम नाम सुखदाई भजन करो भाई यह जीवन दो दिन का जिसने जीवन के अंतिम पल में भी भगवान राम का नाम ले लिया हो उसके लिये स्वर्ग और बैकुंठ दोनों के दरवाजे खुल जाते हैं इसलिये जब भी समय मिले अपने गुरुजनों के मार्गदर्शन में धर्म-कर्म दान सत्कर्म पूजा पाठ करो यही आपको भवसागर पार करायेंगे अपने इस पृथ्वी पर आवागमन के मार्ग की खोज छोड़ो वह कामाख्या स्वरूप है तथा मां पार्वती उसमें साक्षात विद्यमान है भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती दोनों की एक साथ आराधना कर इस पृथ्वी से अपने जाने वाले मार्ग को भी सुदृढ़ करले सिर्फ एक ही मार्ग के पीछे भटकना अपना मानव जीवन निरर्थक करने के समान है आने और जाने के दोनों मार्गो का सुदृढ़ करने से इस जीवन में आत्मबोध की प्राप्ति होती है