ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी जी पधारे। उन्होंने परमार्थ निकेतन गंगा आरती ’’वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’’ से सम्मानित होने तथा 30 मिनट की नॉनस्टॉप दैनिक मनमोहक व मंत्रमुग्ध करने वाली आरती के रूप में सूचीबद्ध किये जाने पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को शुभकामनायें और बधाईयाँ दी।
मÛ मÛ स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और मंहत रविन्द्र पुरी जी की दिव्य भेंटवार्ता हुई।
तीनों पूज्य संतों ने आगामी प्रयागराज महाकुम्भ में आयोजित की जाने वाली विभिन्न आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय गतिविधियों के विषय में चर्चा की।
मÛ मÛ स्वामी असंगानन्द सरस्वती जी ने कहा कि गंगा जी की आरती तो परमार्थ निकेतन आश्रम की स्थापना के समय से ही हो रही हैं परन्तु पिछले दशकों में गंगा आरती की दिव्यता के साथ उसे जो भव्यता प्रदान की वह वास्तव में गौरव का विषय है। अब तो उत्तराखंड आने वाला प्रत्येक पर्यटक एक बार परमार्थ गंगा आरती में सहभाग जरूर करना चाहता है।
उन्होंने कहा कि पहले मेरे पास लोग आते थे और कहते थे की स्वामी जी परमार्थ निकेतन में एक दिन रूकने हेतु कमरे की व्यवस्था करवा दीजिये परन्तु अब लोग आते हैं; दूर-दूर से लोगों के फोन आते हैं कि महाराज जी आरती में बैठने के लिये मिल जाये इसकी व्यवस्था करवा दीजिये यह बहुत बड़ी बात है। परमार्थ गंगा आरती आस्था व व्यवस्था का अद्भुत केन्द्र है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नदियों की गोद में पूरा जीवन समाहित है। अगर हम सनातन संस्कृति और नदियों के आध्यात्मिक महत्व को देखे तो जन्म से लेकर जीवन के अंत तक सभी संस्कार नदियों के तटों पर ही सम्पन्न होते हैं। नदियां जीवन व जीविका दोनों का आधार है। गंगा जी ने धरती को सौन्दर्य और सम्पन्नता दोनों प्रदान की है। हमें यह याद रखना होगा कि गंगा है तो हिमालय है और हिमालय है तो गंगा है; हम है, हमारी संस्कृति है, प्रकृति है इसलिये गंगा सहित सभी नदियों का संरक्षण नितांत आवश्यक है।
महंत रविन्द्र पुरी जी ने कहा कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने वर्ष 1997 से परमार्थ गंगा तट पर महाआरती का क्रम शुरू किया था। नदियों की आरती और नदियों के तटों पर आरती प्राचीन काल से ही की जाती हैं। भारत में सनातन काल से ही प्रकृति और संस्कृति दोनों को पूजा जाता है परन्तु स्वामी जी ने परमार्थ गंगा आरती को जागरण का केन्द्र बनाकर जो विराट व वैश्विक स्वरूप प्रदान किया है वह वास्तव में अलौकिक है। स्वामी जी प्रतिदिन आरती के माध्यम से भारतीय संस्कृति और प्रकृति संरक्षण का संदेश प्रसारित कर रहे हैं साथ ही आरती की वजह से यहां के तीर्थाटन में भी अत्यधिक वृद्धि हुई है। परमार्थ निकेतन गंगा आरती की ख्याति न केवल भारत बल्कि वैश्विक ग्लोब पर भी है, सभी इस आरती के दर्शन करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि गंगा जी भारत के पांच राज्यों से होकर बहती है परन्तु परमार्थ निकेतन घाट पर गंगा जी का जो स्वरूप स्वामी जी ने स्थापित किया वह अद्भुत है। परमार्थ निकेतन गंगा आरती ’का ’वल्र्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’’ से सम्मानीत होना पूरे भारत, विशेष रूप से उत्तराखंड के लिये गौरव का विषय है।
मेयर, ऋषिकेश श्रीमती अनीता ममगाई जी ने कहा कि पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के माध्यम से पूरे विश्व में योग का संदेश पहुंचाया और गंगा आरती के माध्यम से वे पूरे विश्व को ऋषिकेश में आमंत्रित व आकर्षित कर रहे हैं। ऋषिकेश में वैश्विक पर्यटकों को आकर्षित करने में परमार्थ गंगा आरती का बहुत बड़ा योगदान है। हमारा छोड़ा सा शहर ऋषिकेश परमार्थ गंगा आरती और योग महोत्सव के कारण विश्व के मानचित्र पर उत्कृष्ट स्थान रखता है।
स्वामी जी ने महंत जी का पुष्पमाला से अभिनन्दन किया तथा हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा माँ गंगा के आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया। मंहत रविन्द्र पुरी जी और मेयर श्रीमती अनीता ममगाई जी स्वामी जी को पुष्पगुच्छ देकर उनका अभिनन्दन किया।