कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने महानगर अध्यक्ष डॉ जसविंदर सिंह गोगी की अध्यक्षता में राज्यपाल को एक ज्ञापन इलेक्टोरल बॉन्ड के संबंध में जिलाधिकारी के माध्यम से प्रेषित किया। गोगी ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना देश की जनता और लोकतांत्रिक व्यवस्था से एक बहुत बड़ा धोखा था। इससे सरकार को तो बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी होती थी पर आम लोगों को ये पता नहीं होता था कि कौन 2 बॉन्ड खरीद रहा है और किस राजनीतिक दल को दे रहा है। उदाहरण के लिए 2018 के पिचानबे प्रतिशत बॉन्ड केवल भाजपा के पास ही गए। भाजपा दरअसल पूरी राजनीतिक व्यवस्था पर एकाधिकार करना चाहती है ताकि देश मे भाजपा के अलावा कोई और दल न रहे। यह सोच लोकतंत्र विरोधी है। गोगी ने कहा कि वर्ष 2017 में जब चुनावी बांड योजना को वित्त विधेयक के रूप में पेश किया गया था, तो तब भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इसकी अपारदर्शी, अलोकतांत्रिक और हानिकारक प्रकृति की स्पष्ट रूप से निंदा करने वाली पहली पार्टी थी। यह दरअसल मोदी सरकार की “काला धन रूपांतरण“ योजना है। सरकार द्वारा चुनावी बांड योजना के मामले में रिजर्व बैंक की आशंका को दरकिनार किया गया और इस मामले में चुनाव आयोग को भी गुमराह किया गया। यही नहीं भ्रष्टाचार की नीयत से चुनावी बॉन्ड में अनुच्छेद 19 (1) (क) तथा सूचना का अधिकार अधिनियम की भी उपेक्षा की गई।कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार की इस “काला धन रूपांतरण“ योजना को “असंवैधानिक“ मानते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करती है तथा मांग करती है कि मोदी सरकार के चुनावी बांड घोटाले की जांच ईडी से कराई जाय। ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधिमंडल मुख्य रूप से प्रदेश महासचिव नागपाल, आदर्श सूद, अर्जुन पासी, जमाल अहमद ,एस पी थापा , सूरज क्षेत्री, विरेंदर पवार आदि सम्मिलित थे।