जिला अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञों ने बताया कि आंख में मोतियाबिंद हटाने के कुछ महीनों बाद लेंस के पीछे झिल्ली बन जाती है। इस झिल्ली को हटाने के लिए लोगों को दूरदराज शहरों में जाना पडता था। लेकिन अब याग लेजर मशीन लग जाने से इसका उपचार अब जिला अस्पताल में ही हो सकेगा। इससे नेत्र रोगियों का समय की बचत के साथ खर्च भी कम होगा। इसके अलावा इस मशीन की सहायता से लीक हो रही रक्त वाहिकाओं को सील करना, आंख में दबाव कम करना, कॉर्निया को बदलना और आईरिस का हिस्सा हटाना जैसी कई प्रकार की दृष्टि समस्याओं का उपचार हो सकेगा। जबकि ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप या सर्जिकल माइक्रोस्कोप विशेष रूप से सर्जिकल सेटिंग में उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जिससे आंखों के सर्जरी के दौरान नेत्र सर्जन को बेहतर सुविधा मिलेगी।