सरकारी विभागों में पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से सूचना का अधिकार (आरटीआई) के नियमों की ज्यादा से ज्यादा जानकारी सभी विभागों को पहुंचाने के लिए सूचना आयोग लगातार प्रयास कर रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को आयोग की ओर से एक कार्यशाला का आयोजन कर जनपद के अधिकारियों को
सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम 2005 की धारा-04 पर विस्तृत जानकारी दी गई।
उत्तराखंड सूचना आयोग की ओर से प्रदेशभर में चल रहे जागरुकता अभियान के तहत शुक्रवार को विकास भवन सभागार में आयोजित कार्यशाला के तहत सूचना आयुक्त विपिन चंद्र ने सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत कार्मिकों एवं लोक सूचना अधिकारियों, प्रथम अपीलीय अधिकारियों की भूमिका/दायित्वों पर विशेष प्रकाश डाला। सूचना आयुक्त ने कहा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सूचना के अधिकार धारा-04 में किए गए संशोधनों के बाद विभागों की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है। जिन भी विभागों द्वारा वार्षिक मैनुअल तैयार किए जा रहे हैं, उनमें अनिवार्य रूप से विभाग की गतिविधियों समेत अन्य जानकारियां अनिवार्य रूप से दी जाएं। वहीं विभाग की वेबसाइट पर भी सभी जानकारियां समय-समय पर अपलोड की जानी हैं। सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत प्राप्त हो रहे आवेदनों को ध्यान से पढ़कर निर्धारित प्राविधानों के अन्तर्गत बिन्दुवार स्पष्ट उत्तर देने पर अधिकतर प्रकरण लोक सूचना अधिकारी स्तर पर ही निस्तारित हो जाते है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों व कार्मिकों को निर्भीक होकर पारदर्शी व्यवस्था बनाने हेतु कार्य किया जाना चाहिए। जिससे आम जनमानस को लाभ मिल सके। उन्होंने बताया कि यदि किसी विभाग में दूसरे विभाग से संबंधित सूचना का अनुरोध किया जाता है, तो पांच दिन में संबंधित विभाग को अनुरोधपत्र भेज दिया जाए। उन्होंने कहा कि अधिकतम सूचनाएं वेबसाइट या मैनुअल में उपलब्ध रहेंगी तो जनता को विभागों की पूर्ण जानकारी मिलने के साथ ही अनावश्यक केस आने भी कम हो जाएंगे।
बैठक में उप जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग आशीष घिल्डियाल, पुलिस उपाधीक्षक हर्षवर्धनी सुमन, जिला कार्यक्रम अधिकारी अखिलेश मिश्रा, मुख्य कृषि अधिकारी लोकेंद्र सिंह बिष्ट, जिला युवा कल्याण अधिकारी शरत सिंह भंडारी, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी विमल सिंह गुसाईं, खंड विकास अधिकारी जखोली दिनेश मैठाणी, समेत अन्य लोग मौजूद रहे।