ऋषिकेश : स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी आज की विशेष शिष्टाचार बैठक में स्वामी ने कहा कि उत्तराखंड में मनाया जाने वाला हरेला पर्व प्रकृति को समर्पित अनूठा पर्व हैं, जो कि बीजों व पौधों के संरक्षण हेेतु समर्पित है इस अवसर पर राज्य में वृहद स्तर पर पौधा रोपण करने वे संस्कृति भी बचेगी, प्रकृति भी बचेगी और आने वाली संतति भी बचेगी। स्वामी जी ने कहा कि हरेला जैसे प्रकृति संरक्षक पर्व को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिये इसके मूल उद्देश्य को जीवंत व जागृत बनाये रखना होगा।
उत्तराखंड का यह लोकपर्व हरेला हमें प्रकृति के संरक्षण व पौधा रोपण का संदेश देता है इसे चरितार्थ करने के लिये खाली जमीनों को चिन्हित कर पेड़-पौधों के रोपण हेतु उपयोग किया जा सकता है। विगत कुछ वर्षों में पहाड़ों पर रूद्राक्ष, अखरोट, नीबू और चंदन के हजारों – हजारों पौधों का रोपण किया गया। वर्ष 2022 में उत्तरकाशी में नीबू वाटिकाओं का निर्माण परमार्थ निकेतन द्वारा किया गया था जो आज हरी-भरी होकर लहरा रही हैं। कई नीबू के पौधें फल भी देने लगे हैं। इसी प्रकार रूद्राक्ष वाटिकाओं का निर्माण भी किया गया है। इस मानसून के लिये भी स्थानों का चयन हो जाये तो विभिन्न फलदार पौधों का रोपण किया जा सकता है।
पहाड़ों पर उत्तरकाशी, देवप्रयाग, केदारनाथ मार्ग पर रूद्राक्ष के पौधों का रोपण कर उत्तराखंड में रूद्राक्ष पर्यटन को बढ़ाया जा सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो मुहिम चलायी हैं ’एक पेड़ अपनी माँ के नाम’ उसी के साथ हम दूसरा पेड़ धरती माँ के नाम की मुहिम को आगे बढ़ाया जा सकता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ‘नेशनल डॉक्टर्स डे’ के अवसर पर भारत के सभी चिकित्सकों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि भारत में चिकित्सकों को भगवान के समान दर्जा दिया गया है। कोरोना महामारी के दौर में माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के मार्गदर्शन में डॉक्टर्स ने जो सेवा, समर्पण और साहस का परिचय दिया वह अद्भुत था। प्रतिवर्ष कांवड मेला के दौरान हमारे चिकित्सक अद्भुत सेवा प्रदान करते हैं। चिकित्सकों द्वारा दिये जा रहे अमूल्य योगदान का सम्मान करना जरूरी है।
चिकित्सा का क्षेत्र व्यवसाय का नहीं बल्कि सेवा का क्षेत्र है। हमने कोविड और कांवड के समय देखा की चिकित्सकों का पहल ध्येय रोगी को रोगमुक्त करना होता है परन्तु रोगी को रोगमुक्त करने के साथ ही चिकित्सक के पास टीचिंग एडं टच जैसे अमूल्य उपहार भी हैं, जिन्हेें वे रोगियों के साथ साझा कर सकते हैं, जिससे न केवल उन्हें रोगों से मुक्ति मिलेगी बल्कि अपनेपन का भी अहसास होगा। चिकित्सकों के पास जो टीचिंग और टच है उससे रोगियों के जीवन में अद्भुत टंªासफॉर्मेशन; परिवर्तन किया जा सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि अपने स्वास्थ्य के साथ धरती माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी जरूरी है। धरती स्वस्थ तो देश स्वस्थ। अगर पर्यावरण बीमार होगा तो कैसे होगा स्वस्थ परिवार इसलिये धरती को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है।
वर्तमान समय में स्वस्थ रहने के लिये सबसे बड़ी जरूरत है स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त वातावरण। हम सभी को मिलकर अपने-अपने स्तर पर इसके लिये प्रेरित करना होगा।