चमोली : प्राकृतिक जल स्रोत नौले-धारे और नदियों के जल संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने जिला स्तरीय सतत जल प्रबंधन कार्यक्रम और कैच द रैन कार्यो की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने निर्देशित किया कि सभी संबधित विभाग आपसी समन्वय बनाकर लक्ष्य निर्धारित करते हुए एकीकृत योजना के साथ जल संरक्षण एवं संवर्धन के कार्य करना सुनिश्चित करें। कृषि, उद्यान, सिंचाई, मत्स्य एवं अन्य विभाग और जल सर्वधन कार्यो से जुड़े स्वयं सेवी संस्थाओं और स्थानीय लोगों को भी इसमें शामिल किया जाए और सबके सुझाव लेकर जल स्रोत एवं क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं के अनुरूप जल संरक्षण कार्यो का क्रियान्वयन किया जाए। ताकि प्राकृतिक जल स्रोत नोले-धारे और नदियों का चिरस्थाई प्रवाह बना रहे। वर्षा जल संरक्षण के लिए भी विभागीय स्तर पर लक्ष्य निर्धारण करते हुए सघन वृक्षारोपण, खंती, चाल-खाल, चेकडैम एवं अन्य जल संग्रहण संरचनाओं का निर्माण किया जाए।

परियोजना निदेशक आनंद सिंह ने बताया कि स्प्रिंगशेड एंड रिवर रिजुवनेशन अथॉरिटी (सारा) के अंतर्गत जिला स्तर पर प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए जल संस्थान को नोडल विभाग बनाया गया है। जल संस्थान द्वारा इसकी कार्ययोजना तैयार की गई है। जल संस्थान, जल निगम, सिंचाई, वन एवं अन्य विभागों के सहयोग से प्रत्येक विकासखंड में 10-10 प्राकृतिक जल स्रोतों के संवर्धन हेतु डीपीआर तैयार की जा रही है। कैच द रैन कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में इस वर्ष 10.68 लाख प्लांटेशन, 1.43 लाख ट्रेंच निर्माण, 1351 चाल-खाल, 4752 चेकडैम एवं 936 अन्य जल संग्रहण संरचनाओं के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

बैठक में अपर जिलाधिकारी विवेक प्रकाश, परियोजना निदेशक आनंद सिंह, मुख्य कृषि अधिकारी वीपी मौर्य, मुख्य उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह, ईई जल निगम वीके जैन, ईई जल संस्थान एसके श्रीवास्तव सहित वर्चुअल माध्यम से सभी विकासखंड अधिकारी एवं नगर निकायों के अधिशासी अधिकारी मौजूद थे।