ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन में हरि ओम स्माइल्स की अध्यक्ष सुश्री मोनिका सिंघल जी अपनी पूरी टीम के साथ आयी। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट की। हरि ओम स्माइल्स की पूरी टीम को स्वामी जी ने ‘मानव सेवा-माधव सेवा’ विषय पर बड़ा ही प्रेरणादायक उद्बोधन दिया।
भारत के विभिन्न प्रांतों में दिव्यांग शिविरों के आयोजन हेतु स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हरि ओम स्माइल्स की अध्यक्ष सुश्री मोनिका सिंघल जी, महावीर सेवा सदन के श्री विनोद जी और पूरी टीम के साथ विशेष चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि परमात्मा ने प्रत्येक व्यक्ति को अद्वितीय बनाया है, बस सब एक-दूसरे से थोड़े ंअलग हैं परन्तु सभी विलक्षण है और इस विलक्षणता को ध्यान (मेडिटेशन) के माध्यम से और निखारा जा सकता है। हरि ओम स्माइल्स तन व मन की विकलांगता के लिये अद्भुत कार्य कर रहा है।
परमार्थ निकेतन ‘दिव्यांग मुक्त भारत’ के लिये महावीर सेवा सदन के साथ मिलकर अद्भुत सेवा कार्य कर रहा है। वास्तव में यह एक अद्भुत पहल है, जो दिव्यांगों को उनकी असीमित और वास्तविक क्षमताओं को निखारने के लिए संसाधन, सेवाएं, सहायता और सहयोग प्रदान करती है। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि दिव्यांगों को गरिमा और सम्मान के साथ सशक्त रूप से जीवन जीने के लिए उपयुक्त अवसरों और संसाधनों तक उनकी पहुंच बनाना ताकि कोई भी पीछे न रह जाए।
चर्चा के दौरान हरि ओम स्माइल्स ने भी पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के मार्गदर्शन में परमार्थ निकेतन और महावीर सेवा सदन के साथ मिलकर भारत के विभिन्न शहरों में दिव्यांग शिविर के आयोजन हेतु इच्छा व्यक्त की।
सुश्री मोनिका सिंघल जी ने बताया कि हरि ओम स्माइल्स में हम जो कुछ भी करते हैं उसका एकमात्र उद्देश्य है- अपने अंतरआत्मा; अपने स्व से जुड़ना। जब हम अपने स्व से जुड़ते हैं तो अपने अस्तित्व को पहचान पाते हैं। स्व से जुड़ने पर अवसाद, चिंता और निराशा की भयावहता से भी बाहर निकल सकते हैं। जीवन के तनाव से बाहर निकलने के लिये हमारे योगियों और ऋषियों ने हमें मेडिटेशन रूपी दिव्य अस्त्र प्रदान किये है जिससे हम रोजमर्रा की जिंदगी के कोलाहल से बाहर निकल सकते है।
‘हरि ओम स्माइल्स’ सभी के लिए आशा और ज्ञान की किरण के रूप में सब के साथ खड़ा है। हम वर्ष 2015 से मन की अपंगता के लिये ध्यान और अन्य आध्यात्मिक शिविरों का आयोजन करते हैं ताकि ‘ना कोई तन से अपंग रहे, और ना कोई मन से अपंग रहे’। हमारा उद्देश्य है कि लोग स्वयं अपने भीतर प्रकाश की खोज करे ताकि तनाव व समस्यायें अपने आप समाप्त हो सके।
उन्होंने कहा कि चेहरे पर हर पल मुस्कान, जीवन में जादू की तरह कार्य करती है। जिससे तन व मन की सारी समस्याओं का समाधान प्राप्त किया जा सकता है। मुस्कान को एक उपकरण और तकनीक के रूप में उपयोग कर परिस्थितियों से निपटने के लिए सशक्त बना जा सकता है।
सुश्री मोनिका सिंघल जी ने कहा कि पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के आशीर्वाद व मार्गदर्शन में अब हम इस वर्ष भारत के 24 शहरों में दिव्यांग शिविरों का आयोजन करेंगे।