ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन में डिप्टी लीडर, नॉर्वेजियन नोबेल समिति, डा अस्ले तोजे अपने तीनों बच्चों के साथ आये, उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर विश्व विख्यात गंगा आरती में सहभाग किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और डा अस्ले तोजे ने वैश्विक स्तर पर हो रही ग्लोबल वार्मिग पर चिंता व्यक्त करते हुये अपने-अपने स्तर पर अधिक से अधिक पौधा रोपण की प्रतिबद्धता को दोहराया।
डा अस्ले तोजे, पांच सदस्यीय नॉर्वेजियन नोबेल समिति के डिप्टी लीडर हैं। यह नोबेल समिति, नोबेल शांति पुरस्कार के प्राप्तकर्ता का चयन करती है, जो कि दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है।
स्वामी जी ने अपने 73 वें जन्मदिवस के अवसर पर 73 हजार पौधों के रोपण का संकल्प दोहराते हुये कहा कि पवित्र श्रावण माह, कावंड मेला से इसकी शुरूआत की जायेगी। स्वामी जी ने कांवड मेला के दौरान नीलकंठ मार्ग राजाजी नेशनल पार्क में हाथियों सहित अन्य वन्य जीवों को जंगल में ही जल उपलब्ध कराने हेतु अमृत सरोवर निर्माण योजना के विषय में भी चर्चा करते हुये कहा कि इस बार कांवड मेला के दौरान अमृत सरोवर निर्माण पायलट प्रोजेक्ट की तरह वन विभाग के साथ मिलकर शुरू किया जायेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट को अन्य जंगलों व वन्य जीव बाहुल्य क्षेत्रों में शुरू किया जा सकता है, जिससे हाथियों सहित अन्य वन्य जीवों व मनुष्यों के बीच बढ़ते संघर्ष को रोका जा सकता है।
डिप्टी लीडर, नॉर्वेजियन नोबेल समिति, डा अस्ले तोजे ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से हुई भेंटवार्ता को अत्ंयत ऊर्जादायक बताते हुये कहा कि मैं और मेरा परिवार एक वर्ष में 300 ओक के पौधों का रोपण करते हैं परन्तु स्वामी जी की प्रेरणा से 365 पौधों का रोपण करेंगे। ओक का पौधा भूमिगत जल के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि मेरी दोनों बेटियों व बेटे को परमार्थ आश्रम, गंगा आरती, और प्रेमयुक्त पारिवारिक वातावरण ने अत्यधिक प्रभावित किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी द्वारा प्रदान किया रूद्राक्ष का पौधा हमारे लिये एक यादगार उपहार है। उनकी दयालुता में हमारे दिल को मोह लिया। पौधा रोपण के माध्यम से इस प्लानेट को बचाने की उनकी मुहिम अद्भुत है। उन्होंने बताया कि मैं और मेरे बच्चे पूरा वर्ष फलों के बीज एकत्र कर मौसम आने पर अपने देश में लगाते हैं। उन्होंने परमार्थ गंगा आरती के माध्यम से कहा कि आप सभी अपने पसंद के बीज एकत्र करें व एक सुरक्षित स्थान देखकर उचित मौसम में लगाये और उसकी देखभाल करें क्योंकि छोटे पौधे बच्चों की तरह होते हैं इसलिये उनकी देखभाल करना जरूरी है। पेड़ों को भी बड़ा होने के लिये हम सब के प्रेम व देखभाल की जरूरत होती है।
डा अस्ले तोजे ने पूज्य स्वामी जी के मार्गदर्शन में परमार्थ निकेतन के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिये मिलकर बड़े लेवल पर कार्य करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। वे यहां की ऊर्जा, उष्मा और आध्यात्मिकता से अत्यंत प्रभावित होकर विदा ली।