ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज राज्स्थान की शान व भारत का स्वाभिमान महाराणा प्रताप जी की जयंती पर उनकी वीरता और मातृभूति के प्रति उनके समर्पण व त्याग को नमन करते हुये कहा कि धन्य है यह भारत भूमि जिसने ऐसे सूर्य रूपी विलक्षण देदीप्यमान शूरवीरों को जन्म दिया।
भारत की माटी का कण-कण आज भी अपने वीरों की गौरवगाथा की इबारत लिखता है। भारत की हवाओं में अपने वीरों की चेतना समाहित हैं। वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और अपनी मातृभूमि के प्रति अद्वितिय समर्पण के प्रतीक भारत माता के लाल महाराणा प्रताप, भारतीय इतिहास के महान और वीर शासक हैं जिन्होंने मातृभूति के प्रति समर्पण की नई इबारत लिखी। उन्होंने अपनी मातृभूमि के स्वाभिमान के लिये अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। घांस की बनी रोटी खाई परन्तु अपने स्वाभिमान को बनाये रखा। वे वास्तव में वीरता और स्वाभिमान के प्रतीक हैं।
महाराणा प्रताप ने अपना सारा जीवन अपनी मातृभूमि की रक्षा करने व स्वाभिमान को बनाये रखने हेतु समर्पित कर एक अद्भुत मिसाल कायम की। उनके संघर्ष, दृढ़ संकल्प शक्ति और उनकी वीरता को नमन। वे हम सभी के प्रेरणा स्रोत हैं और उनकी वीरता, देशभक्ति व स्वाभिमान को भारत सदैव याद रखेगा।
स्वामी जी ने जनजातीय संस्कृति, गौरव व अस्मिता की रक्षा के लिये सर्वस्व समर्पित कर देने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा जी के बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि उन्होंने जनजातीय अधिकारों को प्राप्त करने और उनके सशक्तिकरण के लिए पूरा जीवन ही समर्पित कर दिया। आज उनके बलिदान दिवस पर उनकी जल, जंगल, जमीन के प्रति अद्भुत श्रद्धा व समर्पण को नमन। उनके जैसे विरले ही वीर है जिन्होंने प्रकृति व प्राकृतिक जीवन के बारे में कई दशकों पहले न केवल चिंतन किया बल्कि उसके लिये स्वयं को समर्पित कर दिया। उनके विलक्षण क्रांतिकारी चितंन ने एक नये युग का सूत्रपात कर एक नये चिंतन को जन्म दिया। धरती आबा के पराक्रम व सामाजिक जागरण के संकल्प को नमन।