ऋषिकेश : परमार्थ निकेतन में माननीय राज्यपाल, त्रिपुरा श्री एन इंद्र सेना रेड्डी जी सपरिवार पधारे। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर आशीर्वाद लिया और विश्व विख्यात गंगा जी की आरती में सहभाग किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों की एक विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत, भाषा और ऐतिहासिकतायें हैं। ये राज्य विविधता से युक्त समृद्ध राज्य हैं। उन्होंने अपनी सांस्कृतिक विविधताओं के साथ समुदायों की ऐतिहासिकताओं और प्रथाओं को जीवंत बनाये रखा है। चाहे हम त्योहारों की बात करंे या प्राचीन परंपराओं की या फिर उनकी पोशाकों की वे प्रत्येक संस्कृति, जीवन मूल्यों और मान्यताओं का एक अनूठा दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। उन्होंने विविधताओं को संरक्षित कर भविष्य की पीढ़ियों के लिये इन सांस्कृतिक विरासतों को सुरक्षित रखा है।
स्वामी जी ने कहा कि जब हम अपनी विविधता को स्वीकार कर लेते हैं तो सामाजिक एकता और समावेशिता को बढ़ावा मिलता है। साथ ही विभिन्नताओं के बीच एकता की भावना को प्रोत्साहन मिलता है। इससे आपस में सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना विकसित होती है जो हमें एक मजबूत, एकजुट राष्ट्र के निर्माण में योगदान देती है।
स्वामी जी ने कहा कि विविधता की संस्कृति को सही मायने में समझने के लिये हमें पूर्वोत्तर राज्यों की संस्कृति को समझना होगा। वास्तव में विविधता की अद्वितीय सांस्कृतिक विरासतों का उत्सव पूर्वोत्तर राज्यों में मनाया जाता है ताकि सामाजिक एकता को बढ़ावा मिले, सामंजस्यपूर्ण एवं समृद्ध समाज का मार्ग प्रशस्त हो सके।
माननीय राज्यपाल, त्रिपुरा श्री एन इंद्र सेना रेड्डी जी ने कहा कि भारत के छोटे से राज्य त्रिपुरा को भारत के मानचित्र पर खोजना मुश्किल है परन्तु त्रिपुरा का आधे से अधिक हिस्सा जंगलों से घिरा हुआ है, जो प्रकृति प्रेमी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। त्रिपुरा की संस्कृति काफी समृद्ध है, यहां पर लगभग 19 जनजातियां हैं और वे अभी भी जंगलों में रहना पसंद करती हैं। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से त्रिपुरा एक बहुत ही समृद्ध राज्य है और यहां के निवासी पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान देते हैं। मुझे प्रसन्नता है कि पूज्य स्वामी जी स्वयं प्रतिदिन गंगा आरती के माध्यम से पूरे विश्व को पर्यावरण व नदियों के संरक्षण का संदेश देते हैं। परमार्थ गंगा आरती वास्तव में शान्तिदायक व आनंद से ओतप्रोत करने वाली है।
स्वामी जी ने माननीय राज्यपाल त्रिपुरा श्री एन इंद्र सेना रेड्डी जी को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा व श्री राम परिवार, अयोध्या धाम की चित्र प्रतिमा आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया। इस अवसर पर श्री हेमंत जवाहर लाल, प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त, उत्तर प्रदेश (पश्चिम) एवं उत्तराखंड भी आये। उन्होंने भी दिव्य गंगा आरती में सहभाग किया।
आज परमार्थ गंगा तट पर दिव्य व भव्य चुनरी महोत्सव का आयोजन किया गया। राजस्थान के श्री सीताराम जी मोर ने अपनी 50 वीं वर्षगांठ के अवसर माँ गंगा जी को चुनरी अर्पित की, इस अवसर पर उनका पूरा परिवार उपस्थित था। इस दिव्य महोत्सव में माननीय राज्यपाल महोदय जी ने भी अपने आस्था के पुष्प समर्पित किये। पूज्य स्वामी जी ने श्री सीतराम मोर जी की 50 वीं वर्षगांठ के अवसर पर अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज श्री रविन्द्र नाथ टैगोर जी की जयंती के पावन अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि उनके लिये शिक्षा का अर्थ स्वयं से साक्षात्कार है। उच्चतम शिक्षा वह है जो हमें केवल जानकारी नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को उसके पूरे अस्तित्व के साथ सामंजस्य बिठाने में मदद करती है एवं इसका अंतिम लक्ष्य उन लोगों की स्थितियों में सुधार करना है जो हाशिए पर हैं, जिसे शिक्षा के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है अर्थात् उन्होंने शिक्षा पर अत्यंत जोर दिया। उन्होंने आध्यात्मिक विकास पर जोर देते हुये कहा कि आध्यात्मिक विकास के लिये हमें अपनी चेतना को विस्तार देना होगा, उसे प्रेम और सहानुभूति से परिपूर्ण करना होगा। इसी माध्यम से सही मायने में हम दुनिया को समझ सकते हैं। उनके द्वारा दिये इन दिव्य संदेशों को आत्मसात कर हम उन्हें अपनी सच्ची श्रद्धाजंलि अर्पित करे।
Dehradun
Delhi
Haridwar
Lucknow
Mumbai
National
New Delhi
Rishikesh
Roorkee
Roorkee
State
Uttar Pradesh
Uttarakhand